India vs. America: Tariff War 2025 – प्रभाव, जवाब और भविष्य की राह
लेखक: Manish Sharma || Post Date:24/08/2025
परिचय
2025 में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। अमेरिका ने भारत पर अब तक के सबसे ऊंचे टैरिफ्स लगाए हैं, जो 50% तक पहुंचे हैं। यह कदम मुख्य रूप से भारतीय निर्यात, रूसी तेल खरीद और कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे leather, textiles, gems, jewellery, और seafood को प्रभावित कर रहा है। इस व्यापार युद्ध ने न केवल आर्थिक मोर्चे पर बल्कि कूटनीतिक संबंधों पर भी गहरा असर डाला है।

Tariff War का आर्थिक असर
अमेरिका के इन टैरिफ्स का सबसे बड़ा असर भारतीय निर्यातक उद्योगों पर देखा जा रहा है। विशेष रूप से लेदर, टेक्सटाइल्स और जेम्स एवं ज्वेलरी सेक्टर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। कई छोटे और मध्यम व्यवसाय अब यूरोप और एशिया के अन्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। Earnings downgrade की वजह से निवेशकों का भरोसा भी डगमगा गया है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, GDP की वृद्धि दर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
प्रभावित उद्योग
- Leather और Footwear – अमेरिकी बाजार के बड़े हिस्से पर टैरिफ का सीधा असर।
- Textiles और Apparel – निर्यात की लागत बढ़ी, प्रतिस्पर्धा कम हुई।
- Gems और Jewellery – अमेरिकी खरीदारों की मांग घटी, रीब्रांडिंग की जरूरत।
- Seafood और Agro-products – कीमतें बढ़ने से निर्यात बाधित।
राजनीतिक और रणनीतिक चुनौतियाँ
यह व्यापारिक तनाव केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका के इस कदम ने भारत को नए कूटनीतिक रास्तों की तलाश में मजबूर कर दिया है। चीन और रूस के साथ बढ़ती नजदीकियां अमेरिका के साथ रिश्तों को और जटिल बना रही हैं। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह Indo-Pacific गठबंधन और Quad की एकता के लिए भी चुनौतीपूर्ण है।
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के इस कदम पर कड़ा रुख अपनाया है। उनका कहना है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए “heavy price” चुकाने के लिए भी तैयार है। आत्मनिर्भर भारत के सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए सरकार अब घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रही है। Export Promotion Council और व्यापारिक संघ भी नए व्यापार समझौते खोजने में सक्रिय हैं।
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
- घरेलू उद्योगों को सब्सिडी और प्रोत्साहन।
- यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाजारों की तलाश।
- Make in India और Digital India जैसी योजनाओं को गति देना।
भविष्य का परिदृश्य
इस व्यापार युद्ध का भविष्य अनिश्चित है। क्या भारत और अमेरिका फिर से व्यापारिक समझौते की ओर लौटेंगे या तनाव और बढ़ेगा? विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को इस मौके का फायदा उठाकर नए बाजारों की खोज और घरेलू उद्योगों को मजबूत करना चाहिए। अमेरिका भी अपने हितों की रक्षा के लिए भारत के साथ कूटनीतिक संवाद जारी रख सकता है।
FAQs
प्रश्न 1: क्या भारत इन टैरिफ्स को WTO में चुनौती दे सकता है?
उत्तर: हाँ, भारत WTO के माध्यम से इन टैरिफ्स की वैधता पर सवाल उठा सकता है।
प्रश्न 2: इन टैरिफ्स का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सबसे बड़ा असर क्या है?
उत्तर: सबसे बड़ा असर निर्यात पर है, जिससे रोजगार और उत्पादन प्रभावित हुए हैं।
प्रश्न 3: क्या भारत अमेरिका के इन कदमों के जवाब में टैरिफ्स लगाएगा?
उत्तर: संभव है, लेकिन सरकार कूटनीतिक समाधान को प्राथमिकता दे रही है।
Outbound Links:
- Reuters – India Sees Asia’s Biggest Earnings Downgrades as US Tariffs Loom
- Economic Times – Textiles, Gems & Jewellery, Seafood Must Diversify Markets
- The Guardian – Modi Ready to ‘Pay a Heavy Price’
- Time – With US Ties on the Rocks, India Draws Closer to China
